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“जन सुचना अधिकार अधिनियम २००५” के अंतर्गत प्राप्त अजब-गजब जानकारी

Achche Din Aane Wale Hain
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देश के नौनिहालों के जीवन से खिलवाड़

प्रस्तुत है बरेली जनपद के विकास खंड दमखोदा और बहेड़ी में प्राथमिक शिक्षा सम्वन्धी अजब-गजब कारनामें

“अ” पिछले १३ वर्षों से स्कूल नहीं गया अध्यापक

“ब” अध्यापकों को प्राप्त शिक्षण अधिगम सामग्री निर्माण हेतु अनुदान,का कोई विवरण नहीं,कोई सामान नहीं खरीदा,पैसा हज

“स” विद्यालयों में भूकंप रोधी निर्माण के नाम पर,मानको के विपरीत घटिया सामग्री,नदी की साधारण बालू से निर्माण,बीम लेवल,डोर लेवल विंडो लेवल पर या तो बीम डाले ही नहीं गए,अथवा कम मोटाई की एवं मानक से आधी मात्रा में सरीय डाली गयी है,डोर और विंडो के चारो ओर कंक्रीट और सरिया बीम नहीं,नीव में भारी गड़बड़,ऐसे निर्माण रिच्हर स्केल पर सामान्य श्रेणी के भूकंपीय झटकों में धराशाई होने की पूर्ण संभावना है.

एक अध्यापक पिछले १३ वर्षों से कभी स्कूल में उपस्थित नहीं हुआ,ये अध्यापक हैं “श्री ब्रजेश सिंह,सहायक अध्यापक पूर्व माध्यमिक विद्यालय ब्लाक- दम्खोदा बरेली,जो पिछले लगभग १३ वर्षों से लिपिकीय कार्यों के निष्पादन हेतु सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय रिछा/दमखोदा में अस्थाई व्यवस्था के तहत सम्वध रहे हैं.

* अध्यापक श्री ब्रजेश कुमार ए.बी.एस.ए.कार्यालय दमखोदा के अधीन लिपिकीय कार्यों के निष्पादन हेतु दिनांक १०-०९-१९९८ से ०५-०७-२००६ तक तदुपरांत १२-१२-२००६ से अक्तूबर २००९ तक अस्थाई विवस्था के तहत सम्वध्य रहे.

* इतनी लम्वी अवधि में ऐसे कौन से लिपिकीय कार्य थे,जिनके निष्पादन हेतु सदैव तीन या तीन से अधिक (एन.पी.आर.सी.,बी.आर.सी.,और ए.बी.आर.सी. के अतिरिक्त) अध्यापक कार्यालय में संबध्य रहे.

# अति संवेदनशील विन्दु तो ये है कि विभागीय नियमानुसार अस्थाई विवस्था के तेहत नियुक्ति का कोई प्रावधान नहीं है,और समय समय पर ये बात चर्चा में भी रहती है,फिर भी कैसे एक अध्यापक १३ वर्षों से कार्यालय में सम्वध रहते हुए नियमों कि धज्जियाँ उड़ा रहा है,जिसकी किसी को कोई चिंता नहीं,क्योंकि इससे किसी व्यवसाई,नेता,अभिनेता के बच्चों का भविष्य प्रभावित नहीं हो रहा,बल्कि गाँव के रहने वाले उन गरीब और असहाय बच्चों का भविष्य अन्धकारमय हो रहा है,जिसके मूंह का निवाला तो सदेव ही छीना जाता रहा है.

जबकि विदित रहे कि सम्पूर्ण ब्लाक दमखोदा में लगभग ०८ (आठ केवल) एन.पी.आर.सी. एवं एक ब्लाक समन्वयक और एक सह ब्लाक समन्वयक के रूप में कुल १० (कुल दस) अध्यापक तो वैसे ही कार्यालय और स्कूलों के मध्य सूचनाओं के आदान प्रदान और क्र्यन्वयन हेतु सम्वध्य रहते हैं,फिर भी अन्य अध्यापकों को कार्यालय से संबध्य करने का न तो औचित्य है,और न ही ऐसी सम्बध्यता के लिए कोई नियम प्रावधान ही है.


ये जानकारी “जन सुचना अधिकार अधिनियम २००५” के अंतर्गत मांगे जाने पर,जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय बरेली के आदेश पर सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी ब्लाक बहेड़ी ने आर.टी.आई. कार्यकर्त्ता सायेमा मलिक बरेली को प्राप्त कराई गयी है.

#०१- अध्यापक ब्रजेश कुमार पिछले १३ वर्षों से कभी अवकाश पर नहीं रहे,कभी बीमार नहीं हुए,कभी डयूटी पर लेट नहीं पहुंचे.


#०२- अध्यापक ब्रजेश कुमार कभी बटन लेने बैंक नहीं गए,अध्यापक होते हुए भी,कभी किसी सेवारत प्रशिक्षण में संलंग्न नहीं हुए,नाही उक्त अनिवार्य प्रशिक्षण प्राप्त करने कि उन्हें आवश्यकता रही,वो स्वं इतने विद्वान् और पारंगत हैं.

#०३- पिछले १३ वर्षों तक विना सक्षम अधिकारी के आदेश के किस आधार पर उन्हें कार्यालय पर सम्वध्य रखा गया,ऐसे कौन से लिपिकीय कार्य थे. और इस अबाधि में १० अध्यापक एनपी.आरसी,बी.आर.सी. एवं ए.बी.आर.सी. के रूप में नियमानुसार विधिवत नियुक्त थे,फिर श्री ब्रजेश,श्री हरपाल यदुवंशी,श्री बलवीर सिंह आदि (०३-०५ अध्यापक ) कौन से महाभियान का रथ कार्यालय में खींच रहे थे,सोच से परे है.

#०४- श्री ब्रजेश सिंह इन १३ वर्षों में लिपिकीय कार्यों का बोझ तो धोते ही रहे,साथ-साथ अन्य अलग-अलग स्कूलों में भूकंपरोधी अतिरिक्त कक्ष और भवन निर्माण का अतिरिक्त बोझ भी अपने कंधों धोते रहे,क्योंकि ये उत्तरदायित्व निर्वहन में सक्षम्कोई योग्य अध्यापक सम्पूर्ण ब्लाक में नहीं मिला,अत: श्री ब्रजेश अध्यापक-सह-लिपिक-सह-भवन निर्माता का कार्य समान अवधि में करते रहे.

#०५- श्री विर्जेश ने ०४ वर्षों में ०७(सात ) निर्माण कार्य (भूकंप रोधी प्रावधानों सहित अतिरिक्त कक्ष व् विद्यालय भवन) निर्माण

“अ” स्कूलों में निर्मित भूकंपरोधी निर्माण, या “रेत का महल “
निर्माण में भारी घोटाला,मानकों की अनदेखी
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दोनों ही ब्लाक जिले के सुदुर्तम एवं उत्तराखंड सीमा,और पीलीभीत जनपद से सटे ब्लाक हैं,और जिला मुख्यालय से औसतन ५० से ७० कि.मी. परिधि के अन्दर अवस्थित हैं,और दोनों ब्लाक स्कूलों में अध्यापकों कि कमी से ट्रस्ट हैं,और प्रत्येक में काफी संख्या में स्कूल शिक्षकों कि कमी के कारण एकल अथवा वंद स्थति में हैं,और बड़ी संख्या में विद्यालय मात्र शिक्षा मित्रों के सहारे चल रहे हैं,पर अधिकारी इससे ऑंखें मूंदकर सो रहे हैं.

वैसे तो प्रदेश और केंद्र सरकारें भारत के संविधान के प्रति अपनी बचन वध्य्ता और देश में १४ वर्ष तक के वच्चों को निशुल्क और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराने,और प्राथमिक शिक्षा की आवश्यक एवं मूलभूत सुविधाएँ विकसित करने को दृण प्रतिघ्य है,और राष्ट्रव्यावी सर्व शिक्षा अभियान के द्वारा वह सबकुछ कर रही है,जो उनको करना चाहिय,पर परिणाम उतने उत्साहजनक नहीं हैं,कारण है,निचले स्तर पर अंकुरित भ्रष्टाचार और कर्तव्यहीनता(निचले स्तर से तात्पर्य सामान्य अध्यापक/प्रधानाध्यापक या शिक्षा मित्र से नहीं है,बल्कि इसका आशय ब्लाक स्तरीय सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी और उनके कार्यालय: पर नियुक्त कुछ एनी लोक सेवकों से है) के चलते व्यवस्था में बदहाली और उदासीनता उत्पन्न हो रही है,एवं इस बदहाली के लिए सभी ए.बी.एस.ए./विद्यालय निरीक्षक को भी दोषी नहीं ठहराया जा सकता है,बल्कि कुछ एक ब्लाक केन्द्रों पर अव्यवस्था अपने चरम पर है,जिससे सम्पूर्ण प्रदेश की प्रगति के आंकड़े प्रभावित हो रहे हैं,और एक युगांतकारी अभियान इनलोगों के कार्यों से त्राही-त्राही है.आवश्यकता है,इसके लिए आम नागरिक को सरकार के इस पावन प्रयास को सहयोग करना चाहिय,और देश के नौनिहालों के साथ कुछ-एक स्थानों पर की जा रही नाइंसाफी और उनके जीवन से खिलवाड़ को बंद कराया जाना चाहिय.

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