Menu
blogid : 1814 postid : 107

आर० टी० आई० के अंतर्गत निश्चित सूचना प्राप्ति सम्वधि महत्वपूर्ण जांच विन्दु

Achche Din Aane Wale Hain
Achche Din Aane Wale Hain
  • 50 Posts
  • 205 Comments

जन सुचना अधिनियम २००५” के अंतर्गत सुचना प्राप्ति में आने वाली वाधाएं/समस्याएं और सफल समाधान:-
=====================================================================

हम जब जन सूचना अधिकारी से अधिनियम के अंतर्गत सूचना प्राप्ति के लिए अनुरोध करते हैं तो,सामान्यता उक्त अधिकारी आपको सूचनाएं उपलब्ध नहीं करना चाहता,क्योंकि उक्त अधिकारी ही आपके द्वारा मांगी गयी सूचनाओं से सम्बंधित विभाग का विभागाध्यक्ष/प्रधान भी होता है,और आपके द्वारा मांगी गयी सूचनाओं से ,उसके स्वाम के अथवा उसके किसी अधीनस्थ के हित प्रभावित होने कि सम्भावना होती है,और अधिकान्श्यता मांगी गयी सूचनाओं से उस विभाग कि,अथवा उस से सम्बंधित किसी योजना कि,या किसी कर्मचारी कि करतूतों,भ्रष्टाचार अथवा गबन,घोटाला उजागर होने कि सम्भावना रहती है,या अन्य अनियमितताओं ,विसंगतियों के खुल जाने कि सम्भावना भी रहती है,……
इसलिए जन सूचना अधिकारी आवेदक को आसानी से मांगी गयी सूचनाएं उपलव्ध नहीं कराना चाहता है,और सूचनाये न देने के लिए हर संभव प्रयास करता है,और इसी क्रम में सूचनाएं न देने के लिए,आवेदक कि किसी भूल अथवा प्रार्थना पत्र कि भाषा को तोड़ मरोड़ कर गलत अर्थ लगाकर असम्वंधित सूचनाये उपलव्ध कराकर इतिश्री कर ली जाती है,और आप के लिए प्राप्त सूचनाओं का कोई लाभ नहीं रह जाता,एक लम्बी प्रक्रिया और समय कि बर्बादी के बाद,उलटी सीढ़ी बे काम कि सूचनाएं प्राप्त होने पर,आवेदक स्वम को ठगा सा महसूस करता है,और थक हार कर अपनी सूचना प्राप्ति कि योजना को निरस्त कर आत्मसमर्पण कर देता है,और सम्बंधित जन सूचना अधिकारी येही चाहता है.

पर यदि आप एक नियोजित योजना से क्रम्वध एवं विधिवत रूप से,कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखते हुए,यदि सूचना प्राप्ति हेतु आवेदन करते हैं,तो जन सूचना अधिकारी को हर हाल में आपको सूचनाएं प्राप्त कारानी होंगी,अथवा उसे आपको समय बर्बाद करने का मूल्य चुकाना ही होगा.

सूचना प्राप्ति हेतु आबेदन प्रेषण सम्वन्धी महत्वपूर्ण जांच विन्दु व्
=============================================

साधारणतय: हमारे द्वारा मांगी गयी सूचनाएं,हमारे ही आवेदन पत्र में अंकित भाषाई अशुढ्धियों,वे संदेह का लाभ जन सूचना अधिकारी द्वारा उठाते हुए,पूर्ण व् स्पष्ट नहीं दी जाती हैं,जैसे सूचनाओं कि प्राप्ति कि हम अपेक्षा करते हैं.

अत: ध्यान दें,कि मांगी जाने वाली सूचनाओं को विंदुवार अपने आवेदन/प्रार्थना पत्र स्पष्ट भाषा,में एवं लघुत्तम रूप में अंकित करें,परन्तु मांगी गयी सूचना कि प्रत्येक पक्ष स्पष्ट रूप से दें.

अपना आवेदन/प्रार्थना पत्र तीन प्रतियों में बनाएं,जिसकी दो प्रति सूचना प्राप्ति हेतु जन सूचना अधिकारी को प्रस्तुत करें,एवं एक प्रति अपने पास भविष्य के निहितार्थ सुरक्षित रखें.

सूचना प्राप्ति हेतु निर्धारित शुल्क राशि के भुगतान हेतु यथा कोशिश करें,कि उक्त धनराशि संवंधित जन सूचना अधिकारी के कार्यालय में निर्धारित प्रक्रिया से विधिवत जमा कर,जमा रसीद अवश्य प्राप्त कर लें,साधारणतय: संवंधित कार्यालय में रसीद बुक न होने,आदि वहानेवाज़ी कर आपको टरकाया जा सकता है———

ऐसी स्थति में परेशान होने,या चक्कर काटकर समय नष्ट करने कि आवश्यकता नहीं है (हांलाकि नियमानुसार उक्त धन संवंधित अधिकारी को जमा करना ही पढ़ेगा) आप उक्त धनराशी का किसी राष्ट्रीयकृत बैंक से बैंक ड्राफ्ट बनबा कर संलंग्न कर सकते हैं,

परन्तु आम आदमी के लिए सबसे अधिक सुभिधा जनक किसी “डाकघर” से उक्त निर्धारित धनराशी का “भारतीय पोस्टल आर्डर” क्रय करना उपयुक्त है,क्योंकि या आसानी से प्रत्येक शहर कस्वे में उपलव्ध होता है,और मात्र एक-दो रुपया ही कमीशन/अंतरण चार्ज का अतिरिक्त भुगतान करना होता है,जबकि बैंक ड्राफ्ट बनबाने के लिए लगभग “१० रुपया से ३५ रुपया तक शुल्क अतिरिक्त लिया जाता है.

आवेदन पत्र वैसे तो संवंधित जन सूचना अधिकारी के कार्यालय पर सीधे जमा किया जा सकता है,परन्तु यहाँ भी आपके साथ बहानेवाजी और टरकाने के नुस्खे अपनाए जा सकते हैं,कि साहब नहीं हैं——,बाबू नहीं हैं—–,बाद में आना—–,मीटिंग चल रही है——,साहब बहार गए हैं—–,टीम आ रही है——-,रजिस्टर नहीं है——-,अलमारी कि चाबी मिश्र जी के पास है,——और अगले दिन मिश्रा जी बताएँगे कि चावी तो रामदीन के पास है——–,और रामदीन जब आयेंगे तो वो बताएँगे के चाबी घर रह गयी है——————-,चाय पानी कराओ,आदि—आदि .

आप असुभिधा से बचने के लिए,अपना आवेदन पत्र/प्रार्थना पत्र,सीधे भारतीय डाक कि रजिशतरड/स्पीड पोस्ट से भेजे,ये ज्यादा सुरक्षित और विश्वसनीय रहेगा,प्राप्ति रसीद भविष्य कि आवश्यकता के लिए सुरक्षित रखे,जहांतक हो तो इस आशय कि एक अलग फाइल बना लें,जिसमे सब कागज़ क्रम से लगाते चले जाएँ.

डाक में भेजते समय यथा कोशिश करें कि प्रार्थना पत्र को लिफाफा में न डालकर,प्रार्थना पत्र को मोढ़कर ही लिफ़ाफ़े का रूप दे दें,और उसे स्टेपलर से पिन-अप कर डाक टिकट लगाकर पता आदि लिख दें,और उसे स्पीड पोस्ट करें.

सामान्यता लिफाफे में भेजे गए प्रार्थना पत्र,रद्दी कि टोकरी में डाल दिए जाते हैं,और यदि बाद में आपके द्वारा जन सूचना अधिकारी के विरुद्ध राज्य सूचना आयोग,या अन्य जगह सूचना उपलव्ध न कराने के संधर्भ में अपील कि जाती है,तो सम्बंधित अधिकारी आयोग के समक्ष मात्र खाली लिफाफा प्रस्तुत कर,तर्क प्रस्तुत कर सकता है,कि इस लिफाफा में कोई प्रार्थना पत्र नहीं था,और संदेह का लाभ उठा कर साफ़ बच सकता है,जबकि प्रार्थना पत्र पर ही टिकट लगाकर भेजने से ये स्थति नहीं हो सकती,अत प्रार्थना पत्र पर ही टिकट लगाकर एवं पता लिख कर स्पीड पोस्ट करें,लिफाफे में प्रेषित करने से बचें.

आगामी पोस्ट में प्रथम अपील के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी आपको उपलव्ध कराई जायेगी,धन्यवाद

जन सूचना अधिकार अधिनियम २००५ के अंतर्गत सूचना प्राप्त कर देश में व्याप्त भ्रष्टाचार और अन्याय के विरुद्ध एकजुट होकर प्रयास करें,देश में पारदर्शी और सफल व्यवस्था कि स्थापना के लिए सभी को अपना योगदान देना चाहिय,तभी हम अपनी आने वाली संतानों के लिए
एक सशक्त राष्ट्र कि स्थापना कर सकते हैं,आओ इस युगांतकारी अधिनियम कि सहायता से एक वास्तविक प्रजातंत्र कि स्थापना में अपना योगदान दें,और शाइनिंग इंडिया का सपना सशक्त करें.

देश कि वरिष्ठ नेता श्रीमती सोनिया गांधी ने भी इस अधिनियम कि महत्ता को समझते हुए देश कि आम जनता से आर० टी ० आई० का वृहदतम उपयोग करने का आवाहन किया है,और ये निश्चय ही एक सार्थक और निस्वार्थ राय है,ये किसी पार्टी,समुदाय,धर्म, से संवंधित व्यक्ति आह्वाहन नहीं,बल्कि एक आम एवं जागरूक नेता कि जनता के लिए दिल से निकली पुकार है.

यदि आप भी अपने राष्ट्र,देश और प्रजातंत्र से प्रेम करते हैं,और चाहते है कि हमारा देश एक वृहदतर भारत पूरी दुनिया का सिरमौर बने,और दुनिया में प्रजातंत्र कि मिसाल बने,तो इस देश कि प्रजा के रूप में संविधान में वर्णित मौलिक कर्तव्यों का निस्वार्थ पालन करने का प्रयास करें,और यदि आपके साथ कहीं अन्याय हो रहा है,अथवा आपको आपका अधिकार पूर्ण रूप से नहीं मिल रहा,या आपको किसी मिलने वाले लाभ से वंचित किया जा रहा है,या आप समाज सेवा करना चाहते हैं,या आप देश के लिए कुछ करना चाहते हैं,तो एक आर० टी ० आई० कार्यकर्त्ता के रूप में अपना योगदान देकर राष्ट्र और मानवता के इस पावन पुन्य का कार्य करें.

इसे पर्ने के बाद,आपकी राय के दो शव्दों का मई अभिलाषी हूँ,इस लेख के लिए दो शव्द साधुवाद के देने कि कृपा करें,मई समझूंगा कि कितना सार्थक हूँ मई अपनी बात कहने में….या आपका कमेन्ट आर० टी ० आई० कि आवाज़ और ताकत का प्रतीक बन जायेगा,और ये भी समाधान होने में किंचित लेशमात्र भी संकोच नहीं रहेगा,कि इस देश/राष्ट्र कि प्रजा अपने देश के लिए कितनी समर्पित,जागरूक और संवेदनशील है……….धन्यबाद

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh