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परमात्मा ने भी नारी के साथ किया पक्षपात
विषय अटपटा एवं अति-संवेदनशील एवं गंभीर है,साथ ही ऐसे विचारों को नास्तिकता से जोड़ा जा सकता है,परमात्मा पर आरोप या प्रश्न चिन्ह लगाना किसी भी लेखक के लिए आत्महान्तक प्रयास हो सकता है,परन्तु फिर भी अपनी अंतरात्मा और अनुभूति,मानसिक चेतना को दवाना भी मानवीय चेतना के लिए कष्टकारी होता है,सो विषय पर लेख प्रस्तुत है-
अगले जनम में,मोहे बिटिया ही दीजियो…………?
मैंने सुना है,कि महान अन्तरिक्ष विज्ञानी,और विचारक “गैलिलियो गैलिली ” ने दूरवीन के आविष्कार करने के बाद,अन्तरिक्ष में झांककर जब दुनिया को ये बताया कि- ” सूर्य पृथ्वी के चारो ओर नहीं,बल्कि पृथ्वी सूर्य के चारो ओर घुमती है” उनके शोध के विषय में पुस्तक प्रकाशित होते ही समस्त संसार में भारी उत्पात मच गया……..और उनका सबसे बड़ा दुश्मन,पोप और इसाई मिशनरीज़ बन गयी,सास्त संसार कि इसाईयत उनका विरध करने लगी…….क्यों गैलिलियो का ये सिद्दांत सम्पूर्ण इसाई धर्म कि नीव हिलाने के लिए काफी था,क्योंकि इसाई धर्म के अनुसार “पृथ्वी ब्रहम्मांड का केंद्र है,और सूर्य इसके चारो ओर चक्कर काटता है,साथ ही पृथ्वी स्थिर है” जबकि गैलिलियो का विचार ठीक इसका उल्टा था,जिससे इसाई धर्म के मूल्य सिद्धांतों और धार्मिक पुस्तक बायविल कि विश्वसनीयता और सत्यनिष्ठ प्रभावित हो रही थी,सो विरोध तो होना ही था. सम्पूर्ण विश्व में गैलिलियो कि पुस्तक कि पांडुलिपियाँ जलाई गयी,उग्र आन्दोलन के द्वारा भी विरोध किया गया,पोप ने गैलिलियो पर पुस्तक प्रकाशित करने पर रोक,प्रकाशित पांडुलिपियाँ वापस लेने,अपने सिद्धांत से मुकरने और सार्वजनिक माफ़ी मांगने का दवाव डाला गया.पर गैलिलियो आने सिद्धांत पर डटा रहा,तब विरोध और उग्र हुआ,पोप के कहने पर,अदालत में मुकदमा प्रारम्भ हुआ,गैलिलियो को अपार यातनाएं दी गयीं…….पर एक बूढ़ा विचारक कब तक अडिग रहता,आखिर नौवत फांसी लगने कि आने लगी……..तब गैलिलियो जब अदालत में हाज़िर किया गया,तो उस बूढ़े विचारक ने बड़े पते कि बात कही……..बिलकुल बास्तविक,परन्तु अकाट्य सत्य….
आदार्णीय जूरी के सदस्यों……
मै गैलिलियो गैलिली,आप लोगों के अनुसार,अपने शोध एवं सिद्धांत वापस लेता हूँ,और आपके अनुसार घोषणा करता हूँ,कि मेरे सिद्धांत और विचार सत्य नहीं थे,मै तो पागल था…..जो इतने दिनों बेकार ही यातना सहता रहा,बेकार बकबास झक मारता रहा,मै अपने विचार वापस लेता हूँ,और ये भी घोषणा करता हूँ,कि पृथ्वी के चारो ओर सूर्य घूमता है,और पृथ्वी स्थिर है,जैसा कि बायबिल में लिखा है…….मेरे विचार बकबास,और एक बूढ़े आदमी के सड़े दिमाग कि उपज मात्र थे…….कृपया मेरी भूल के लिए मुझे माफ़ करें…………………………………………….. …………………………………………………..
.पर एक बात फिर भी कहता हूँ,कि जैसे आपके कहने पर मैंने मान लिया,कि सूर्य ही पृथ्वी के चारो ओर घूमता है,मेरा सिद्धांत गलत था……………………………………….मगर सूर्य नहीं मानेगा आपका कहा,वो नहीं घूमेगा पृथ्वी के चारो ओर…..और न पृथ्वी आपके कहने से स्थिर नहीं हो जायेगी……जैसा कि आपके भय से मैंने कह दिया………पर न सूरज आपका कहना सुनेगा ……नहीं पृथ्वी आपकी बात मानेगी मानेगी……..क्योंकि आप उन्हें न तो दंड दे सकते है…….न फांसी पर लटका सकते है…….न वे आपसे भयभीत हैं…….नहीं कभी आप उनको डरा धमका सकते…………….सो घूमेगी पृथ्वी ही सूर्य के चारो ओर………आप चांहे जो करले………..पर आपके कहने से,मै अपनी बात बापस लेता हूँ…….क्योंकि मेरे कहने से भी…..वे अपना परिभ्रमण बंद नहीं करसकते……वे तो घूमते रहेंगे….पर मै मान लेता हूँ,जैसा आप कहते हैं,बायविल कहती है….वोही सत्य है…..मेरे आपके कहने से कोई अंतर नहीं पड़ने वाला….. तब पोप ने,अदालत ने,और राजा-प्रजा ने सोचा,विचार किया…..चलो गैलिलियो स्वम तो स्वीकार कर रहा,वो गलत था,बायविल सही है……इतना ही काफी है,कुछ तो लाज बच रही है……….वर्ना तो उन्हें लगता था,कि गैलिलियो अपनी सत्यता के लिए जान देदेगा,पर सिद्धांत को अमर कर जायेगा,सो इतना ही काफी है……………………भले ही पृथ्वी सूर्य के चारो ओर घुमती लाज वरहे…….बता कौन किसे रहा है….कुछ तो ची.
पर कहते हैं,सत्य सदैव जिंदा रहता है,आज गैलिलियो का सिद्धांत प्रमाणिक हो चूका है……..और जो पोप और चर्च गैलिलियो के सिद्धांत और विचारों का विरोध कर रहे थे…….आज सैकड़ों सालों के बाद,उसी चर्च में वर्ष २००८ में गैलिलियो कि मूर्ति स्थापित कि गयी है,और उसी चर्च ने गैलिलियो के सिद्धांत को मान्यता दी है………………
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कुछ ऐसी ही सत्यता को आपके सम्मुख रखना का हम प्रयास कर रहे हैं,कुछ नया,कुछ अनोखा नहीं,बल्कि आपके मन कि बात कि,आपके विचारों को अक्षरों का रूप देने का एक लघु प्रयास है……….नारी का मर्म…………… भगवान् का सबसे बड़ा भेद-भाव तो ये है,कि मानव शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग मस्तिष्क की धारिता……..भगबान ने नर अर्थात परुष के मस्तिष्क का औसत आकार और भार में अंतर…….
जन्म के समय एक बालक का मस्तिष्क बालिका के मस्तिष्क से औसतन १२-२०% अधिक होता है,
प्रौड़ परुष के मस्तिष्क का भार,प्रौड़ महिला के मस्तिष्क के अकार से औसतन ११-१२% अधिक होता है.
पुरुष के मस्तिष्क का भार औसतन १,३२५ ग्राम और महिला के मस्तिष्क का औसत भार १,१४४ ग्राम होता है (१८६१ ई. पॉल ब्रोका )
महिला के मस्तिष्क के श्वेत पदार्थ में तंतुओं की लम्बाई १४६,००० कि.मी. और पुरुष में १७६,३०० कि.मी. होती है,
और पुरुष के मस्तिष्क का “सेरेब्रल कोर्टेक्स” भाग, महिला से ३३% अधिक होता है .
पुरुष के मस्तिष्क का औसत आयतन/धारिता १४४२ सी.सी (क्यूबिक सेंटीमीटर) और महिला के मस्तिष्क कि औसत धारिता १३३२ सी.सी. (क्यूबिक सेंटीमीटर)
और पुरुष के मस्तिष्क में ग्रे मैटर,महिलाओं से औसतन छै: गुना अधिक होता है,जोकि प्रत्यक्ष रूप से जनरल इंटैलीजैंस से संवंधित होता है.
नर मनुष्य की याददाश्त (मेमोरी साइज़ ) मादा मनुष्य से २% अधिक होती है
.नर के मस्तिष्क का हैपोथैलेमस भाग का आकार नारी के इसी भाग से २.२ गुना (दो गुने से अधिक) होता है.
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