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दोषी कौन ? ये वेहद पेचीदा,विवादास्पद और बार-बार दोहराया जाने बाला प्रश्न है,जो समय-असमय बहस का मुद्दा रहा है.तो मेरा विचार है,पहले हम थोड़ा सा गुदगुदालें…..माहौल थोड़ा खुशगवार करलें…..कहते हैं
मुल्ला नसीरुद्दीन के कारनामें व्यंग आपके लिए-
पान की दीवारों पर उछालते,बोफोर्स तोप की मानिंद धड़-धडाते हुए गोले की मानिंद ,मेरे दरवाज़े की किवाड़ों को परे धकेलते……..जंग में जाते शूरवीर के अंदाज़ में मेरे चेहरे के सामने,अपनी कंकालवत जर्जर काय को स्थिर कर,मोर्चा संभाल चुकने के बाद ,मुंह से “हजार-चौरासी की माँ” की तर्ज पर एक-हजार गालियाँ गला फाड़-फाड़ के निकालने के बाद,कुछ विरामवत हुए.
“मुल्ला-चालीसा” मेरे सर के ऊपर से बाउंसर गेंद की मानिंद गुज़र गया था,क्यूंकि अभी जो मुल्ला ने गालियाँ दी थीं,वो किसी व्यक्ति विशेष को सम्भोधित न होकर,एक सार्वजनिक इश्तेहार की भांति “बिना सिर पूंछ की बेतुकी” भड़ास थी.
स्विंग डालते हुए मुल्ले बोले- अब तो हद हो गयी,अब तो मुझे कुछ करना ही पड़ेगा………आज फिर उसका तीसरा धमकी भरा ख़त आया है,…….कि अगर मुल्ला तूने मेरी बीबी का पीछा करना बंद नहीं किया तो मै तेरे गोली मार दूंगा.कहते-कहते मुल्ला कांपने लगे,उनकी कोमल-महीन काया घड़ी के पेंडुलम के सामान कम्पायमान थी.
सालूशन ईजी है……..भाई उसकी बीबी का पीछा करना बंद कर दो……..दुनिया में बहुतेरी और औरतें हैं…..एक से एक बिंदास…….चमेली बाई…..मुन्नी.…..
मिमियाते हुए बोले,और किसकी बीबी का पीछा करना बंद करूँ..….अरे मै तो सैकड़ों की बीबियों का पीछा करता हूँ……….और उस हरामखोर ख़त भेजने बाले ने अपना नाम पता तो लिखा ही नहीं है……………..अब बताओ,किसकी बीबी का पीछा करना बंद करूँ ……….एक दो हों तो ठीक……क्या सैकड़ों का पीछा करना बंद कर दूँ.
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